वो आँखें भूले नहीं भूलती
जिन्हे मैं कहीं छोड़ आया हूँ
कहता हूँ सबसे वो गलियां याद नहीं आती
मगर देख आज फिर उसी मोड़ आया हूँ
समझ मेरी मजबूरिया जो कुछ इस कदर है मेरे दिल में बस्ती
उन रस्मों की कसमें चाहकर भी छूट नहीं सकती
पर ज़माने से कहता हूँ मैं उन्हें तोड़ आया हूँ ..
जिन्हे मैं कहीं छोड़ आया हूँ
कहता हूँ सबसे वो गलियां याद नहीं आती
मगर देख आज फिर उसी मोड़ आया हूँ
समझ मेरी मजबूरिया जो कुछ इस कदर है मेरे दिल में बस्ती
उन रस्मों की कसमें चाहकर भी छूट नहीं सकती
पर ज़माने से कहता हूँ मैं उन्हें तोड़ आया हूँ ..
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