नींदों में अब वो मज़ा कहाँ
जो रात भर उनके ख्यालों में जागने का है
दिल छुपाके रखने में वो मज़ा कहाँ
जो हर बार उनसे इसे तुड़वाने का है
महफिलों में अब वो मज़ा कहाँ
जो तन्हाई में उनकी यादों का है
बातों में अब वो मज़ा कहाँ
जो बिन अल्फाज़ो की उन मुलाकातो का है
साज़ों में अब वो मज़ा कहाँ
जो उनके बिन सुने अल्फ़ाज़ों का है
नज़ारो में अब वो मज़ा कहाँ
जो उनके साथ बहारों का है
किसी के साथ में वो मज़ा कहाँ
जो दूर से चाँद तारों का है
इस कदर करली है उनसे मोहोब्बत हमने
कि जीने में अब मज़ा कहाँ
जो हर पल उनकी अदाओं पे मरने का है
जो रात भर उनके ख्यालों में जागने का है
दिल छुपाके रखने में वो मज़ा कहाँ
जो हर बार उनसे इसे तुड़वाने का है
महफिलों में अब वो मज़ा कहाँ
जो तन्हाई में उनकी यादों का है
बातों में अब वो मज़ा कहाँ
जो बिन अल्फाज़ो की उन मुलाकातो का है
साज़ों में अब वो मज़ा कहाँ
जो उनके बिन सुने अल्फ़ाज़ों का है
नज़ारो में अब वो मज़ा कहाँ
जो उनके साथ बहारों का है
किसी के साथ में वो मज़ा कहाँ
जो दूर से चाँद तारों का है
इस कदर करली है उनसे मोहोब्बत हमने
कि जीने में अब मज़ा कहाँ
जो हर पल उनकी अदाओं पे मरने का है
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